बुन्देला राजाओं की छतरियों का राजनैतिक एवं सांस्कृतिक महत्व:दतिया क्षेत्र के परिपेक्ष्य में

  • डाॅ0 शेफाली

Abstract

राजाओं के मरणोपरांत उनकी याद में स्थापत्य की दृष्टि से बने अद्वितीय अंत्येष्टि स्मारक छतरी के नाम से जाने जाते है। अर्थात् समाधि स्थलों का विकसित रूप ही छतरी कहलाता है। मध्यकालीन भारत में छतरी स्मारक निर्माण की परंपरा लगभग सभी राजवंशो द्वारा अपनायी गयी। बुन्देलखण्ड के बुन्देला राजा भी इस परम्परा से प्रभावित हुए तथा विस्तृत रूप से भव्य और आकर्षक छतरियों का निर्माण करवाया। ये छतरियाॅ बुन्देलखण्ड में प्रमुख रूप से ओरछा, दतिया, टीकमगढ.,चन्देरी, छतरपुर आदि स्थानों पर निर्मित है। दतिया में निर्मित छतरियाॅ न सिर्फ स्थापत्य की दृष्टि से महत्वपूर्ण अपितु राजनैतिक एवं सांस्कृतिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है।
How to Cite
डाॅ0 शेफाली. (1). बुन्देला राजाओं की छतरियों का राजनैतिक एवं सांस्कृतिक महत्व:दतिया क्षेत्र के परिपेक्ष्य में. Academic Social Research:(P),(E) ISSN: 2456-2645, Impact Factor: 6.209 Peer-Reviewed, International Refereed Journal, 9(4). Retrieved from https://www.asr.academicsocialresearch.co.in/index.php/ASR/article/view/826